ताजा खबर

दीपू दास की हत्या, 200 हमले…बांग्लादेश का यह इलाका क्यों बना हिंदुओं के लिए श्मशान

Photo Source :

Posted On:Tuesday, December 30, 2025

बांग्लादेश का मयमनसिंह (Mymensingh) जिला आज वहां रहने वाले अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के लिए असुरक्षा और हिंसा का सबसे बड़ा केंद्र बन गया है। ऐतिहासिक रूप से अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए प्रसिद्ध यह जिला अब सांप्रदायिक हमलों के 'एपीसेंटर' के रूप में उभर रहा है। साल 2025 का डेटा गवाह है कि हिंदुओं और उनके धार्मिक स्थलों पर होने वाले संगठित हमलों में मयमनसिंह सबसे आगे रहा है।

2025: हिंसा का खौफनाक साल

साल 2025 में मयमनसिंह में हिंदुओं के खिलाफ 10 बड़ी संगठित हिंसा की घटनाएं दर्ज की गई हैं। यह आंकड़ा केवल उन प्रमुख मामलों का है जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरीं, जबकि स्थानीय स्तर पर छोटी-मोटी घटनाएं कहीं अधिक हैं।

  • दीपू चंद्र दास की हत्या: हाल ही में इसी जिले में दीपू चंद्र दास की बर्बर हत्या ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में साफ देखा जा सकता था कि कैसे पुलिस की हिरासत से निकालकर भीड़ ने दीपू की जान ले ली। यह घटना राज्य मशीनरी की विफलता का सबसे बड़ा प्रमाण बन गई।

  • अगस्त 2024 की त्रासदी: शेख हसीना के सत्ता छोड़ने के बाद भड़की हिंसा में मयमनसिंह सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ। अकेले अगस्त 2024 में इस जिले में हिंदुओं पर 183 हमले हुए। कुल मिलाकर तख्तापलट के बाद से अब तक 200 से अधिक ऐसी घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं जहाँ हिंदू घरों, दुकानों या मंदिरों को निशाना बनाया गया।


मयमनसिंह का भूगोल और बदलती जनसांख्यिकी

ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बसा यह जिला कभी 'नसीराबाद' के नाम से जाना जाता था। 1937 के आसपास, यहां 78 प्रतिशत हिंदू आबादी हुआ करती थी, जिसे देखते हुए अंग्रेजों ने इसका नाम बदला था।

आज की स्थिति बिल्कुल उलट है। 2022 की जनगणना के अनुसार, मयमनसिंह की लगभग 52 लाख की आबादी में मुस्लिम 90 प्रतिशत और हिंदू घटकर मात्र 9 प्रतिशत रह गए हैं। जनसंख्या का यह भारी असंतुलन और हिंदुओं का घटता प्रभाव उन्हें चरमपंथी तत्वों के लिए एक आसान लक्ष्य बनाता है।


हिंसा का गढ़ बनने के प्रमुख कारण

  1. ऐतिहासिक विरासत: मयमनसिंह में बांग्लादेश का सबसे बड़ा दुर्गाबारी (दुर्गा मंदिर) और रामकृष्ण परमहंस मंदिर स्थित है। हिंदू संस्कृति का केंद्र होने के कारण यह चरमपंथियों की आंखों में खटकता रहा है। किसी भी राजनीतिक उथल-पुथल के दौरान इन प्रतीकों पर हमला कर हिंदुओं के मनोबल को तोड़ने की कोशिश की जाती है।

  2. सुरक्षा व्यवस्था का अभाव: ढाका के पास स्थित होने के बावजूद, मयमनसिंह में पुलिस और सुरक्षा बलों की तैनाती राजधानी के मुकाबले काफी कम है। दीपू चंद्र दास के मामले ने स्पष्ट कर दिया कि यहाँ की पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने में या तो असमर्थ है या उदासीन।

  3. चरमपंथ का उदय: हाल के वर्षों में स्थानीय स्तर पर कट्टरपंथी समूहों की सक्रियता बढ़ी है। हिंदुओं के खिलाफ घृणा फैलाने वाले भाषण और सोशल मीडिया पोस्ट ने मयमनसिंह के शांत वातावरण को विषाक्त कर दिया है।

निष्कर्ष

मयमनसिंह की वर्तमान स्थिति बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती है। एक ऐसा शहर जो कभी हिंदू विद्वानों और संस्कृति का गवाह था, आज वहां का अल्पसंख्यक समुदाय पलायन या निरंतर डर के साये में जीने को मजबूर है। यदि समय रहते सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित नहीं किया गया, तो मयमनसिंह से हिंदुओं का अस्तित्व पूरी तरह समाप्त हो सकता है।


इन्दौर और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. indorevocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.